कभी वक़्त जो बिगड़ जाता है हमपे, हम भी थोड़ी नाराजगी जता देते है!
हजारो जुल्म वो कर जाते है हमपे, हम भी हँसके उन्हें और जला देते है!!
तेरा नाम सुन के ही छलक जाती है आँखे, आंसुओ को छुपाना तो पड़ता है!
पता न चले हम महफ़िल में भी अकेले है, इसलिए मुस्कुराना तो पड़ता है!!
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ना जाने किस खता की हमने सजा पायी!
एक मुद्दत से ना वो आये ना उनकी खबर आई!!
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ज़माने भर का बोझ जो रखा है हमने खुद पर!
जरा सा नाज जो किया खुद पर आप उसपे भी खफा हो गए!!
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मेरे गम से जो गमजदा तू हुआ, मेरी ही खता थी जो रुस्वा तू हुआ!
मैं तो चला था तुझे अपनी खामोशी से खुशी देना, मेरा खामोश रहना भी तेरे लिए नासूर हुआ!!
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-By Vabs
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