Thursday, 2 January 2014

Aksarr....

अक्सर काफ़िर केह देता है जमाना मूझे , इबादत तो हमने भी दिल से  किया है!
लगता हु तुझको पत्थर दिल शायद, पर मोहब्बत मैंने भी छुप छुप के किया है !!

अक्सर मेरी मुस्कुराहट देती है धोखा तुम्हे, आँखों कि नमीं को मैंने हसी का पर्दा दिया है !
कभी जो मुझको समझा कायर तुमने , जान हथेली पे रख के हमने भी कई लम्हा जिया है!!


-Vabs

No comments:

Post a Comment