Wednesday, 6 August 2014

आज फिर कुछ लिख जाऊंगा......................

सुखी स्याह और फटे पन्नो पे शब्दों के जाल बुन जाऊंगा!
उम्र के तजुर्बे, हलचलों और संघर्ष को सहयोगी बनाऊंगा, कुछ सुन लूंगा और कुछ कह जाऊंगा,
आज फिर कुछ लिख जाऊंगा, आज फिर कुछ लिख जाऊँगा!!

कभी सोचता हूँ, क्यों वक़्त नाराज है मुझसे, क्यों रूठा है क्या खता हुई हमसे!
नाराज, रूठे वक़्त से करके मिन्नतें,  प्यार से उसे मनाऊंगा,
आज फिर कुछ लिख जाऊंगा, आज फिर कुछ लिख जाऊँगा!!

एक उम्र सी बीत गयी इन् सड़को पे चलते चलते, ढूंढ रहा हुँ मंजिल गिरते पड़ते!
थक कर भी ना थकूंगा, एक पल भी ना रुकुंगा, बस आगे बढ़ता जाऊँगा,
आज फिर कुछ लिख जाऊंगा, आज फिर कुछ लिख जाऊँगा!!

वो जो मिला फिर खो गया,धुंधली यादों में ओझल हो गया!
झिलमिल तारो के साथ जो सपनो में आता है, हक़ीक़त  तो क्या उसे ख्वाबो से भी दूर कर जाऊँगा,
आज फिर कुछ लिख जाऊंगा, आज फिर कुछ लिख जाऊँगा!!


-Vabs 

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