Sunday, 19 February 2012

दिल से...

आज फिर कुछ लिखने की चाह दिल में आई है..यह सोच हमने कलम उठाई है...
बयां कर सकते है हम बहुत कुछ, पर अल्फाजो की कमी छाई है!
हर मौसम, हर रंग, हर खुशी, हर गम, हर दर्द से ऊपर उठ गए है हम!! जिंदगी ने हमें कुछ ऐसी सिख सिखाई है... हर कोई है अपना, हर कोई है पराया, एक मै ही हु जिसने हमेसा चोट खायी है!!

मिल जाते है बहुत अपना कहने वाले, पर कुछ लोगो ने ही अपना बनाने की जेहमत उठाई है...
किसी ने कहा था हमें के आये हो अकेले, जाना है अकेले, फिर क्यों तुमने दुसरो से उम्मीद लगायी है?
एक तू ही तेरा है, एक मै ही मेरा है! लोगो की भीड़ है, फिर भी तू अकेला है..पहचान ले खुद को, ये सोच दिल में आई है!!

आज फिर कुछ लिखने की चाह दिल में आई है..यह सोच हमने कलम उठाई है!!!

- वैभव 

 



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